विद्युत चुम्बकीय प्रेरण हीटिंग का सिद्धांत

विद्युत चुम्बकीय प्रेरण हीटिंग का सिद्धांत

1831 में माइकल फैराडे ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन हीटिंग की खोज की। बुनियादी प्रेरण हीटिंग का सिद्धांत फैराडे की खोज का अनुप्रयुक्त रूप है। तथ्य यह है कि, एक सर्किट के माध्यम से बहने वाली एसी धारा उसके पास स्थित एक माध्यमिक सर्किट के चुंबकीय आंदोलन को प्रभावित करती है। प्राइमरी सर्किट के अंदर करंट के उतार-चढ़ाव ने यह जवाब दिया कि पड़ोसी सेकेंडरी सर्किट में रहस्यमय करंट कैसे उत्पन्न होता है। फैराडे की खोज ने इलेक्ट्रिक मोटर, जेनरेटर, ट्रांसफॉर्मर और वायरलेस संचार उपकरणों के विकास का नेतृत्व किया। हालांकि, इसका अनुप्रयोग निर्दोष नहीं रहा है। गर्मी का नुकसान, जो प्रेरण हीटिंग प्रक्रिया के दौरान होता है, एक प्रमुख सिरदर्द था जो एक सिस्टम की समग्र कार्यक्षमता को कम करता था। शोधकर्ताओं ने मोटर या ट्रांसफार्मर के अंदर रखे चुंबकीय फ्रेम को टुकड़े टुकड़े करके गर्मी के नुकसान को कम करने की मांग की।
विद्युतचुंबकीय प्रेरण की प्रक्रिया में होने वाली ऊष्मा हानि को इस नियम को लागू करके विद्युत तापन प्रणाली में उत्पादक ऊष्मा ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है। प्रेरण तापन को लागू करके इस नई सफलता से कई उद्योगों को लाभ हुआ है।

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